शुभ प्रभात दोस्तों।।..अष्टम महागौरी !! जय माता दी !!
माँ की कृपा आप पर और आपके परिवार पर हमेशा बनी रहे!
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः |
महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददा ||
अष्टम महागौरी !! जय माता दी !!
माँ दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है ! इनका वर्ण पूर्णतः गौर है ! इस गौरता की उपमा शंख , चन्द्र और कुंद के फूल से दी गई है ! इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है ! इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत है ! इनकी चार भुजाएं है ! इनका वाहन वृषभ है ! इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय - मुद्रा और नीचें वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है ! ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचें के बाएं हाथ में वर - मुद्रा है ! इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है! अपने पार्वती रूप में इन्होने भगवान् शिव को पति - रूप में प्राप्त करने के लिए बड़ी कठोर तपस्या की थी ! इस कठोर तपस्या के कारण इनका शरीर एकदम काला पड़ गया ! इनकी तपस्या से प्रसन्न और संतुष्ट होकर जब भगवान् शिव ने इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से मलकर धोया तब वह विद्युत् प्रभा के समान अत्यंत कान्तिमान गौर हो उठा ! तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा ! दुर्गा पूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है ! इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है ! इनकी पूजा उपासना से भक्तों के सभी कल्मष धुल जाते है ! उसके पूर्व संचित पाप भी विनिष्ट हो जाते है ! भविष्य में पाप संताप , दैन्य - दुःख उसके पास कभी नै आते ! वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है ! माँ महागौरी का ध्यान - स्मरण पूजन - आराधना भक्तों के लिए सर्वविध कल्याणकारी है ! हमें सदैव इनका ध्यान करना चाहिए ! इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है ! मन को अनन्य भाव से एकनिष्ठ कर मनुष्य को सदैव इनके ही पादार - विन्दों का ध्यान करना चाहिए ! ये भक्तों का कष्ट अवश्य ही दूर करती है ! इनकी पूजा - उपासना से भक्तों के असम्भव कार्य भी संभव हो जाते है ! अतः इनके चरणों की शरण पाने के लिए हमे सर्व विध प्रयत्नं करना चाहिए ! पुराणों में इनकी महिमा का प्रचुर आख्यान किया गया है ! ये मनुष्य की वृत्तियों को सत की ओर प्रेरित करके असत का विनाश करती हैं ! भगवती देवी माँ महागौरी के श्री चरणों में सत सत नमन !
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