Monday, 26 September 2016

!! शुभ संध्या/रात्रि वंदन.... जय माता दी..!!
💠🔹☀🔹☀🔹☀🔹☀🔹☀🔹☀💠
नवरात्रि शनिवार से प्रारम्भ होने के कारणा माता का वाहन अश्व (घोड़ा) है ः अश्व पर माता रानी आती हैं तो राजनीतिक उठापठक, व युद्ध की सम्भावना बनती है, जिस प्रकार घोड़ा न थकता है, न बैठता है उसी प्रकार शासक व प्रशासक को देवी का यह योग बैठने नही देगा..!!
हिन्दू त्यौहारों का महत्वपूर्ण पर्व नवरात्र 01 अक्टूर से प्रारम्भ होकर 10 अक्टूबर तक रहेंगे। इस बार प्रतिपदा तिथि दो दिन होने के कारण नवरात्र नौ दिन की बजाय 10 दिन रहेंगे। नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है
!! शुभ संध्या/रात्रि वंदन.... जय माता दी..!!
💠🔹☀🔹☀🔹☀🔹☀🔹☀🔹☀💠
नवरात्रि शनिवार से प्रारम्भ होने के कारणा माता का वाहन अश्व (घोड़ा) है ः अश्व पर माता रानी आती हैं तो राजनीतिक उठापठक, व युद्ध की सम्भावना बनती है, जिस प्रकार घोड़ा न थकता है, न बैठता है उसी प्रकार शासक व प्रशासक को देवी का यह योग बैठने नही देगा..!!
हिन्दू त्यौहारों का महत्वपूर्ण पर्व नवरात्र 01 अक्टूर से प्रारम्भ होकर 10 अक्टूबर तक रहेंगे। इस बार प्रतिपदा तिथि दो दिन होने के कारण नवरात्र नौ दिन की बजाय 10 दिन रहेंगे। नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है

Tuesday, 8 March 2016

रक्षा-कारक  शाबर मन्त्र
“श्रीरामचन्द्र-दूत हनुमान ! तेरी चोकी – लोहे का खीला, भूत का मारूँ पूत । डाकिन का करु दाण्डीया । हम हनुमान साध्या । मुडदां बाँधु । मसाण बाँधु । बाँधु नगर की नाई । भूत बाँधु । पलित बाँधु । उघ मतवा ताव से तप । घाट पन्थ की रक्षा – राजा रामचन्द्र जी करे ।
बावन वीर, चोसठ जोगणी बाँधु । हमारा बाँधा पाछा फिरे, तो वीर की आज्ञा फिरे । नूरी चमार की कुण्ड मां पड़े । तू ही पीछा फिरे, तो माता अञ्जनी का दूध पीया हराम करे । स्फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।”

विधिः- उक्त मन्त्र का प्रयोग कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही करें । प्रयोग हनुमान् जी के मन्दिर में करें । पहले धूप-दीप-अगरबत्ती-फल-फूल इत्यादि से पूजन करें । सिन्दूर लगाएँ, फिर गेहूँ के आटे का एक बड़ा रोट बनाए । उसमें गुड़ व घृत मिलाए । साथ ही इलायची-जायफल-बादाम-पिस्ते इत्यादि भी डाले तथा इसका भोग लगाए । भोग लगाने के बाद मन्दिर में ही हनुमान् जी के समक्ष बैठकर उक्त मन्त्र का १२५ बार जप करें । जप के अन्त में हनुमान् जी के पैर के नीचे जो तेल होता है, उसे साधक अँगुली से लेकर स्वयं अपने मस्तक पर लगाए । इसके बाद फिर किसी दूसरे दिन उसी समय उपरोक्तानुसार पूजा कर, काले डोरे में २१ मन्त्र और पढ़कर गाँठ लगाए तथा डोरे को गले में धारण करे । मांस-मदिरा का सेवन न करे । इससे सभी प्रकार के वाद-विवाद में जीत होती है । मनोवाञ्छित कार्य पूरे होते हैं तथा शरीर की सुरक्षा होती है ।

Friday, 26 February 2016

गायत्री मंत्र ः विभिन्न देवी देवताओं व ग्रहों के गायत्री मंत्र

चन्द्र गायत्री- ॐ अमृतंग अन्गाये विधमहे कलारुपाय धीमहि,तन्नो सोम प्रचोदयात"|
मंगल गायत्री- "ॐ अंगारकाय विधमहेशक्तिहस्तायधीमहितन्नो भोम :प्रचोदयात"|
बुध गायत्री- "ॐ सौम्यरुपाय विधमहे वानेशाय चधीमहितन्नोसौम्य प्रचोदयात"|
गुरु गायत्री- "ॐ अन्गिर्साय विधमहे दिव्यदेहायधीमहिजीव:प्रचोदयात "|
शुक्र गायत्री- "ॐ भ्र्गुजाय विधमहे दिव्यदेहायतन्नो शुक्र:प्रचोदयात"|
शनि गायत्री- "ॐ भग्भवाय विधमहे मृत्युरुपायधीमहितन्नो सौरी:प्रचोदयात "|
राहू गायत्री- "ॐ शिरोरुपाय विधमहे अमृतेशायधीमहितन्नो राहू:प्रचोदयात"|
केतु गायत्री- "ॐ पद्म्पुत्राय विधमहे अम्रितेसाय धीमहि तन्नोकेतु:प्रचोदयात"|
ब्रम्हा गायत्री- "ॐ वेदात्मने च विधमहे हिरंगार्भाय तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात "|
विष्णु गायत्री- "ॐ नारायण विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात"|
शिवगायत्री- ॐ महादेवाय विधमहेरुद्रमुर्तय धीमहि तन्नोशिव:प्रचोदयात "|
कृष्ण गायत्री- ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे,वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात "|
राधागायत्री-वृष भानु: जायै विधमहे,क्रिश्न्प्रियाय धीमहि तन्नो राधा :प्रचोदयात "|
लक्ष्मी गायत्री-ॐमहालाक्ष्मये विधमहेविष्णु प्रियाय धीमहि तन्नोलक्ष्मी:प्रचोदयात|
तुलसी गायत्री- ॐ श्री तुल्स्ये विधमहे,विश्नुप्रियाय धीमहि तन्नो वृंदा:प्रचोदयात "|
इन्द्र गायत्री- ॐ सहस्त्र नेत्राए विधमहे वज्रहस्ताय धीमहि तन्नो इन्द्र:प्रचोदयात "|
सरस्वती गायत्री- ॐ वाग देव्यैविधमहे काम राज्या धीमहि तन्नो सरस्वती :प्रचोदयात "|
दुर्गा गायत्री- ॐ गिरिजाये विधमहे,शिवप्रियाय धीमहि तन्नो दुर्गा :प्रचोदयात "|
हनुमान गायत्री- ॐअन्जनिसुतायविधमहे वायु पुत्राय धीमहितन्नो मारुती :प्रचोदयात "|
पृथ्वी गायत्री- ॐपृथ्वी देव्यैविधमहेसहस्र मूरतयैधीमहि तन्नो पृथ्वी :प्रचोदयात "|
राम गायत्री- ॐदशारथाय विधमहे सीता वल्लभाय धीमहि तन्नो राम :प्रचोदयात "|
सीता गायत्री- ॐ जनक नंदिन्ये विधमहे भुमिजाय धीमहि तन्नो सीता :प्रचोदयात "|
यम् गायत्री- ॐ सुर्यपुत्राय विधमहे,महाकालाय धीमहि तन्नो यम् :प्रचोदयात "|
वरुण गायत्री- ॐ जल बिम्बाय विधमहे नील पुरु शाय धीमहि तन्नो वरुण :प्रचोदयात "|
नारायण गायत्री- ॐनारायण विधमहे,वासुदेवाय धीमहि तन्नो नारायण :प्रचोदयात "|
हयग्रीव गायत्री- ॐवाणीश्वरायविधमहे,हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हयग्रीव :प्रचोदयात "|
हंसा गायत्री- ॐपरम्ह्न्सायविधमहेमहा हंसाय धीमहि तन्नोहंस:प्रचोदयात "|

Saturday, 20 February 2016

!! शुभ प्रभात....शुभ दिवस..!!
!! जय गायत्री माता.!!
!! जय सूर्यदेव
✴🔸✴🔸✴🔸✴🔸✴🔸
गायत्री मंत्र:-
!!ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
अर्थ ः
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।