सर्वफलदाता भगवान शनिदेव की जयंती 20 मई को अनेक दुर्लभ संयोगों के बीच आ रही है। जहां
शनिदेव के मित्र शुक्र की राशि में पंचग्रही संयोग बनेगा, वहीं रविवार को वट सावित्री अमावस्या भी है।
शनिदेव के जन्मोत्सव की अर्द्धरात्रि के बाद सूर्यग्रहण लगेगा। शनि अतिवक्री होकर
कन्या राशि में होने से अत्यंत शक्तिशाली रहेंगे। शनि जयंती पर कालदंड योग भी
होगा। इस तरह के महासंयोगों की स्थिति 100 वर्षों बाद निर्मित हो रही है।
शनि जयंती और विशेष योग : पंचग्रही, कालदंड योग और वट सावित्री अमावस्या, शनि जन्मोत्सव की अर्द्धरात्रि बाद से
सूर्यग्रहण।
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को सूर्यास्त के समय शिंगणापुर नगर में शनिदेव की उत्पत्ति हुई थी। पंडितों के अनुसार शनि जयंती पर उनकी साधना-आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव विशिष्ट फल प्रदान करते हैं। शनिदेव नीतिगत न्याय करते हैं। शनि साढ़ेसाती, अढैया के रूप में प्रत्येक मनुष्य को फल प्रदान करते हैं।
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को सूर्यास्त के समय शिंगणापुर नगर में शनिदेव की उत्पत्ति हुई थी। पंडितों के अनुसार शनि जयंती पर उनकी साधना-आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव विशिष्ट फल प्रदान करते हैं। शनिदेव नीतिगत न्याय करते हैं। शनि साढ़ेसाती, अढैया के रूप में प्रत्येक मनुष्य को फल प्रदान करते हैं।
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कहा गया है- 'शनि वक्री जनैः पीड़ा' अर्थात्
'शनि के वक्री होने से जनता को
पीड़ा होती है।' इसलिए शनि की दशा से
पीड़ित लोग इस दिन उनकी उपासना और पूजा करें तो शांति मिलेगी।
पंचग्रही योग : सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र और केतु के वृषभ
राशि में होने से शनिदेव के मित्र शुक्र की राशि में पंचग्रही योग निर्मित हो रहा
है। शनि जयंती पर सूर्यग्रहण भी होगा। हालांकि यह केवल पूर्वी भारत में दिखाई
देगा। सूर्यग्रहण 20 मई
की रात 2 बजकर 36 मिनट से 21 मई को सुबह 8 बजकर
19 मिनट तक कृतिका नक्षत्र और
वृषभ राशि में लगेगा।
क्या है कालदंड योग : ज्योतिष में वार और नक्षत्र के संयोग से आनंद आदि 28 प्रकार के योग बनते हैं। शनि जयंती को रविवार और भरणी नक्षत्र के संयोग से कालदंड नामक योग बनेगा। ज्योतिषियों के अनुसार कालदंड के अधिष्ठाता शनिदेव के छोटे भाई मृत्यु के देव यमराज होते हैं। इसके स्वामी शनि के मित्र शुक्र होते हैं।
कालदंड शनिदेव के भी आज्ञाकारी सेवक हैं जो शनि भक्तों के रोग, शत्रुओं आदि बाधाओं का विनाश कर भ्रष्टाचारियों को दंडित करते हैं।
क्या है कालदंड योग : ज्योतिष में वार और नक्षत्र के संयोग से आनंद आदि 28 प्रकार के योग बनते हैं। शनि जयंती को रविवार और भरणी नक्षत्र के संयोग से कालदंड नामक योग बनेगा। ज्योतिषियों के अनुसार कालदंड के अधिष्ठाता शनिदेव के छोटे भाई मृत्यु के देव यमराज होते हैं। इसके स्वामी शनि के मित्र शुक्र होते हैं।
कालदंड शनिदेव के भी आज्ञाकारी सेवक हैं जो शनि भक्तों के रोग, शत्रुओं आदि बाधाओं का विनाश कर भ्रष्टाचारियों को दंडित करते हैं।
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भविष्यपुराण में ऐसा उल्लेख
है कि शनि अमावस्या के दिन शनि
का पूजन विशेष फलदायी होता है। जिन जातक की कुंडली या राशियों पर सा़ढ़ेसाती व ढैया
का प्रभाव है वे अच्छे फल प्राप्त करने के लिए 24 दिसंबर को पड़ने वाली शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर
पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं। बताए गए उपाय सभी जातकों को सफलता दिलाएंगे।
fo}kuksa ds अनुसार 24 दिसंबर को शनिश्चरी अमावस्या का मुहूर्त प्रातः 6.30 से प्रारंभ होकर रात्रि 3.40 तक रहेगा।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ये करें उपाय
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शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ये करें उपाय
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शनि अमावस्या के दिन या रात्रि
में शनि चालीसा का पाठ, शनि
मंत्रों का जाप एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें।
- उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्रनारायण को दान करें।
- अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें।
- शनि यंत्र, शनि लॉकेट, काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें।
- इस दिन नीलम या कटैला रत्न धारण करें। जो फल प्रदान करता है।
- काले रंग का श्वान इस दिन से पालें और उसकी सेवा करें।
- इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें।
- उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्रनारायण को दान करें।
- अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें।
- शनि यंत्र, शनि लॉकेट, काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें।
- इस दिन नीलम या कटैला रत्न धारण करें। जो फल प्रदान करता है।
- काले रंग का श्वान इस दिन से पालें और उसकी सेवा करें।