Saturday, 19 May 2012


सर्वफलदाता भगवान शनिदेव की जयंती 20 मई को अनेक दुर्लभ संयोगों के बीच आ रही है। जहां शनिदेव के मित्र शुक्र की राशि में पंचग्रही संयोग बनेगा, वहीं रविवार को वट सावित्री अमावस्या भी है। शनिदेव के जन्मोत्सव की अर्द्धरात्रि के बाद सूर्यग्रहण लगेगा। शनि अतिवक्री होकर कन्या राशि में होने से अत्यंत शक्तिशाली रहेंगे। शनि जयंती पर कालदंड योग भी होगा। इस तरह के महासंयोगों की स्थिति 100 वर्षों बाद निर्मित हो रही है।

शनि जयंती और विशेष योग : पंचग्रही, कालदंड योग और वट सावित्री अमावस्या, शनि जन्मोत्सव की अर्द्धरात्रि बाद से सूर्यग्रहण। 

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को सूर्यास्त के समय शिंगणापुर नगर में शनिदेव की उत्पत्ति हुई थी। पंडितों के अनुसार शनि जयंती पर उनकी साधना-आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव विशिष्ट फल प्रदान करते हैं। शनिदेव नीतिगत न्याय करते हैं। शनि साढ़ेसाती, अढैया के रूप में प्रत्येक मनुष्य को फल प्रदान करते हैं। 

FILE
कहा गया है- 'शनि वक्री जनैः पीड़ा' अर्थात्‌ 'शनि के वक्री होने से जनता को पीड़ा होती है।' इसलिए शनि की दशा से पीड़ित लोग इस दिन उनकी उपासना और पूजा करें तो शांति मिलेगी। 
पंचग्रही योग : सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र और केतु के वृषभ राशि में होने से शनिदेव के मित्र शुक्र की राशि में पंचग्रही योग निर्मित हो रहा है। शनि जयंती पर सूर्यग्रहण भी होगा। हालांकि यह केवल पूर्वी भारत में दिखाई देगा। सूर्यग्रहण 20 मई की रात 2 बजकर 36 मिनट से 21 मई को सुबह 8 बजकर 19 मिनट तक कृतिका नक्षत्र और वृषभ राशि में लगेगा।

क्या है कालदंड योग : ज्योतिष में वार और नक्षत्र के संयोग से आनंद आदि 28 प्रकार के योग बनते हैं। शनि जयंती को रविवार और भरणी नक्षत्र के संयोग से कालदंड नामक योग बनेगा। ज्योतिषियों के अनुसार कालदंड के अधिष्ठाता शनिदेव के छोटे भाई मृत्यु के देव यमराज होते हैं। इसके स्वामी शनि के मित्र शुक्र होते हैं। 

कालदंड शनिदेव के भी आज्ञाकारी सेवक हैं जो शनि भक्तों के रोग, शत्रुओं आदि बाधाओं का विनाश कर भ्रष्टाचारियों को दंडित करते हैं।

-         भविष्यपुराण में ऐसा उल्लेख है कि शनि अमावस्या के दिन शनि का पूजन विशेष फलदायी होता है। जिन जातक की कुंडली या राशियों पर सा़ढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव है वे अच्छे फल प्राप्त करने के लिए 24 दिसंबर को पड़ने वाली शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं। बताए गए उपाय सभी जातकों को सफलता दिलाएंगे। 

fo}kuksa ds अनुसार 24 दिसंबर को शनिश्चरी अमावस्या का मुहूर्त प्रातः 6.30 से प्रारंभ होकर रात्रि 3.40 तक रहेगा। 

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ये करें उपाय 
ND
Snishchri Amavasya
Add caption
-         शनि अमावस्या के दिन या रात्रि में शनि चालीसा का पाठ, शनि मंत्रों का जाप एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें।

- 
इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। 

- 
तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें। 

- 
उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्रनारायण को दान करें। 

- 
अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें। 

- 
शनि यंत्र, शनि लॉकेट, काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें। 

- 
इस दिन नीलम या कटैला रत्न धारण करें। जो फल प्रदान करता है। 

- 
काले रंग का श्वान इस दिन से पालें और उसकी सेवा करें।

Saturday, 5 May 2012

lagn par grah dristi fal

शुभ सुप्रभात...
लगन पर विभिन्न गृह दृष्टी...
ॐ श्री सद गुरुदेवाये नम:
लग्न पर दृष्टि फल ....सूर्य
लग्न पर सूर्य की दृष्टि जातक राज्यपक्ष से मन सम्मान प्राप्त करता है पिता और अपने परिवार के प्रति उसके मन में आदर होता है
दाम्पत्य जीवन में उसे प्राय: कलह का सामना करना पड़ता है अत: जातक के स्वाभाव में थोड़ी उग्रता आ जाती है ....
अध्यात्म की और उसकी रूचि होने से ऐसा जातक पूज-पथ में विशेष आस्था रखता है सूर्य से प्रभावित जातक स्वभावत: त्यागी (साधू ) स्वाभाव के होते हैं पर फिर भी कम, क्रोध, मोह लोभ आदि से ग्रसित होते हैं
चंद्रमा
लग्न को पूर्ण चंद्रमा देख रहा हो तो जातक स्वयं भी सुंदर और गोर वर्ण होता है तथा उसकी सहचरी भी सुंदर, गोर वर्ण वाली कोमलांगी होती है
ऐसा जातक संपन्न और विलासी होता है विपरीत लिंगी की और उसका विशेष झुकाव होता है यदि लग्न में शुक्र हो तो जातक को सहज ही सुंदर स्त्रियों का भोग प्राप्त होता है
धन की उसे कमी नहीं होती वह सम्पूर्ण भोगो को भोगता है तथा देशाटन करता है लेकिन यदि चंद्रमा क्षीण या दुस्प्रभाव में हो तो विपरीत फल मिलते हैं .
  1. लग्न पर मंगल की  दृष्टी जातक के स्त्री सुख में अल्पता लाती है, पति-पत्नी का दूर रहना या तलाक.... मंगल अपने स्थान से चौथे, सातवे और आठवे स्थान को पूर्ण दृष्टी से देखता है  सप्तमस्थ मंगल की लग्न पर दृष्टि होने से द्वितीय भाव पर भी पूर्ण दृष्टि होती है फलत: नेत्र रोग होते हैं ऐसा मंगल जातक को पित्त रोग से पीड़ित करता है पुत्र सुख में न्यूनता लता है 
  2. छटे भाव में होकर मंगल लग्न को देखे तो राज्य से सम्मान मिलता  है तथा नौकरी में हो तो पद वृद्धि होती है 
  3. लग्न बुद्ध से द्रष्ट हो तो जातक गणितज्ञ, ज्योतिष शास्त्र में पारंगत होता है आकर्षक व्यक्तित्व वाले इस जातक को पत्नी भी सुंदर मिलती है  ऐसा जातक व्यापर कुशल होता है ...तथा व्यापर या राज्याश्रय से धनार्जन करता है ...उसे परिजनों से पूर्ण सहयोग मिलता है तथा वह धनि और दीर्घायु होता है  यदि बुद्ध वक्री होकर लग्न को देख  रहा हो तो जातक ग्रंथकार अथवा लेखक होता है 
  4. लग्न पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो जातक चिरायु, सदाचारी, धर्म के प्रति आस्थावान एवं विद्वान होता है पत्नी सुलाक्ष्ना और पतिव्रत का पालन करने वाली तथा सुंदर  होती है 
  5. फलत: जातक का दाम्पत्य जीवन सुखी होता है ऐसा जातक बलवान एवं भाग्यवान होता है तथा वस्त्राभूषण एवं मकान आदि का उसे पूर्ण सुख मिलता है ....मेरा पता :- ३७/१ सुभाष नगर , मेरठ  (UP) मोबाइल : 9634290878 , 9690507570