शुभ प्रभात
ॐ श्री सद गुरुदेवाये नम:
कुंडली में तीसरा भाव जातक की कार्य क्षमता के बारे में जानकारी देता है, इसे बहुबल अथवा पराक्रम आदि का भाव मानने के पीछे यही कारन है की व्यक्ति अपने मानसिक विचारो और भावनाओ को जब क्रियान्वित करना छठा है तो बाहों और हाथो का प्रयोग करता है तीसरा स्थान सहज भाव भी है यानिकी छोटे भाई बहिन का तीसरे भाव से मुख्यत: पराक्रम. मृत्यु, सहोदर भैबहन, माता-पिता की म्रत्यु, यात्रा, योग में रूचि, परिवार, फेफड़े , श्वासनलिका, कान, नौकर-चाकर, आदि का विचार किया जाता है
मेष राशी ...स्वामी मंगल
यदि तीसरे भाव में मेष रही हो तो मंगल सह्जेश बनता है अत: इअसा जातक बल-पराक्रम के साथ-साथ भाइयो से भी युक्त होता है मंगल बलि हो तो छोटे भाइयो की अधिकता रहती है (देश, काल, परिस्थिति के अनुसार ) ऐसा जातक स्व-भुजबल से यशोभागी बनता है अगर मंगल की स्थिति अनुकूल हो तथा दुसरो की सहायता करने में उसे प्रसन्नता का अनुभव होता है ऐसा जातक कई वीडयो का जानकर होता है तथा पुण्यवान हो कर निर्बलो की मदद करता है तथा राज्य पक्ष से सम्मानित होता है
तीसरा भाव ...... पराक्रम. मृत्यु, सहोदर भैबहन, माता-पिता की म्रत्यु, यात्रा, योग में रूचि, परिवार, फेफड़े , श्वासनलिका, कान, नौकर-चाकर, आदि का विचार किया जाता है
वृषभ राशी स्वामी शुक्र ....जातक प्रतापी होता है इसकी मित्र-मण्डली में बड़े-बड़े उच्चाधिकारी होते हैं इसे अपने कार्यो से यश मिलता है , ऐसा जातक विद्वान् होता है श्रेष्ठ साहित्य की रचना करने वाला होता है , धन की उसे कमी नहीं होती चित्रकार और कलाकार ऐसे ही जातक होते हैं इसी माध्यम से धनोपार्जन करते हैं परिवार में, समाज में प्रशंसा और यशोभागी होता है ...नौकरी में हो तो जातक उच्च पद प्राप्त करता है
मिथुन राशी ...स्वामी बुद्ध ....जातक की वृत्ति वाणिक प्रधान होती है विनोदी स्वाभाव का जातक स्व-भुजबल से मान-सम्मान और धन प्राप्त करता है वह गुरु और पत्नी भक्त होता है तथा सत्य बोलता है ज्योतिष, गणित , लेखा (Account) का जानकर होता है ऐसा जातक अपने कुल में प्रधान होता है उसे उच्च वहां सुख मिलता है जीवन में अनेको अवसरों पर वह पुरुस्कृत होता है
कर्क राशी स्वामी ...चंद्रमा ...ऐसा जातक शांत स्वाभाव का उसकी मित्रता ब्रह्म्नाओ और संतो से रहती है ऐसे जातक व्यापर के माध्यम से आगे बढ़ते हैं नौकरी इनके लिए हितकर नहीं होती ..अपना कम निकलने में माहिर होते हैं, भूमि सम्बन्धी कार्यो से लाभान्वित होते हैं धरम के मामले में कट्टर होते हैं तथा इश्वर पर श्रद्धा रखते हैं इतने पर भी पुराणी दक्यानुसी रुढियों को तोड़ने में सदा आगे मिलेंगे, इनके विचार मौलिक और नवीनता लिए होते हैं और वैवाहिक जीवन सुखी होता है
सिंह राशी स्वामी सूर्य ......जातक उग्र स्वाभाव का होता है एनी कुयोग हो तो हिंसक भी होता है सहस की इसमें कमी नहीं होती अद्भुत ज्जेवत वाले ऐसे जातक को बाल्यावस्था में कष्टों से गुजरना पड़ता है एक जगह रहकर या शिक्षा में कुछ बाधाएं आती हैं , ऐसे जातक की रूचि परनिंदा में अधिक होती है हास्य विनोद स्वाभाव वाला ऐसा जातक स्त्रियोचित गुणों वाला होता है पारिवारिक जीवन में अमूमन सुखी होता है अगर कुछ और कुयोग न पड़े हो....
कने राशी...स्वामी बुद्ध.....इस जातक को अपने सगे -सहोदरों से कम सहायता मिलती है मित्रवर्ग बड़ा होता है तथा मित्र समय पर सहायता करने वाले होते हैं क्रोध कम आता है अपने मित्रो में अग्रणी होने के कारन जातक उनसे सम्मान पाता है शास्त्रों के प्रति अनुराग होता है नम्र स्वाभाव वाला जातक शीलवान और राजनीती में भी पटु होता है एनी योगो के कारन ऐसे जातक चरित्र के कमजोर भी पाए जाते हैं अपनी पत्नी के अतिरिक्त और स्त्रियों से भी सम्बन्ध रखते हैं.. रथ अंत में हीन भावना के शिकार हो जाते हैं
तुला राशी...स्वामी..शुक्र ऐसा जातक अच्छे शील-स्वभाव का नहीं होता .वह वाचाल होता है तथा बोलते समय देश कल परिस्थिति का ध्यान नहीं रखता, जातक का दाम्पत्य जीवन भी सुखी नहीं होता , ऐसा जातक अगर विश्यगमन भी करे तो आश्चर्य नहीं होगा निम्न वर्ग के लोगो में उठाना बैठना होता है त्वरित निर्णय की उसमे क्षमता नहीं होती और बाद में पछताता है
वृश्चिक राशी...स्वामी मंगल ... जातक क्रोधी स्वभाव का...प्राय: असामाजिक तत्वों, गुंडों, तथा पापकर्म में रत रहने वाला व्यसनी व्यक्ति होता है दुर्व्यसनो में फंस कर प्राय: अपनी संचित धन संपत्ति उड़ा देता है ...चलते-फिरते झगडा झंझट मोल लेता है...इसकी बाते मन आत्मा को चोट पहुंचती हैं क्रोध आने पर उचित अनुचित का ध्यान नहीं रखता, अर्थ्चिनता सदा बनी रहती है भाइयो से कोई लाभ नहीं मिलता पुत्रो और स्त्री से अनबन रहती है
धनु राशी स्वामी गुरु ....जातक भव्य आकृति वाला शारीरिक गठन सुंदर होता है...इसकी लिखावट अची होती है ऐसा जातक युद्ध कला को जानने वाला इसलिए पोलिस, मिलिट्री की नौकरी में अधिक तरक्की होती है वैसे भी जातक को व्यापर की अपेक्षा नौकरी लाभदायक रहती है राज्यपक्ष से सम्मानित होता है सामाजिक कार्यकर्त्ता होने से किसी संस्था का सचिव होने का भी योग रहता है उसकी मित्रता बड़े-बड़े लोगो में होती है
तीसरे भाव में मकर राशी शुभ मणि गई है ऐसे जातक का व्यक्तित्व आकर्षक, लुभावना होता है वह सहज ही दुसरो को अपनी और आकर्षित कर लेता है , लोकप्रियता उसके संग रहती है...ऐसा जातक अपने विरोधी से भी अपना कम निकलवा लेता है , देव गुरु भक्त ऐसा जातक विद्वान् और प्रसिद्द होता है लेखन कल में प्रवीण होता है लेकिन अपने आलस्य के कारन अपनी इस प्रतिभा में निखर नहीं ला पता धन का आभाव तो नहीं होता लेकिन धन संचय भी नहीं हो पता...
कुम्भ राशी हो तो जातक पुण्यवान होता है स्वाभाव से गंभीर होता है और समाज में मन और यश को प्राप्त करता है इसके विचार मौलिक...नई सोच के होते हैं धपोर्शंखियो की बाते इसे नहीं सुहाती...अपने भले और बुरे का इसे ज्ञान होता है दुसरो को अच्छी सलाह देता है इसे वनिक वृत्ति वाला मानते हैं सात्विक वृत्ति का ऐसा जातक दिखावे और फैशन से दूर रहता है ऐसा जातक सत्य, परोपकार, न्याय , को विशेष महत्त्व देता है ये जल्दी ही दुसरो पर भरोसा करते हेई और विश्वासघात का शिकार होते हैं
मीन राशी.....ऐसा जाता जागरूक होता है तथा नई -नई योजनाये बनता है अपने चारो और सदा एक रहस्यमय वातावरण बनाये रखता है स्वाभाव से ऐसा जातक उग्र होता है ऐसा जातक धनवान होता है और अपने बीवी-बच्चो से अगाध प्रेम करता है अपनी वाणी पर इसका नियंत्रण नहीं होता...क्रमश: शेष काल ...
ॐ श्री सद गुरुदेवाये नम:
कुंडली में तीसरा भाव जातक की कार्य क्षमता के बारे में जानकारी देता है, इसे बहुबल अथवा पराक्रम आदि का भाव मानने के पीछे यही कारन है की व्यक्ति अपने मानसिक विचारो और भावनाओ को जब क्रियान्वित करना छठा है तो बाहों और हाथो का प्रयोग करता है तीसरा स्थान सहज भाव भी है यानिकी छोटे भाई बहिन का तीसरे भाव से मुख्यत: पराक्रम. मृत्यु, सहोदर भैबहन, माता-पिता की म्रत्यु, यात्रा, योग में रूचि, परिवार, फेफड़े , श्वासनलिका, कान, नौकर-चाकर, आदि का विचार किया जाता है
मेष राशी ...स्वामी मंगल
यदि तीसरे भाव में मेष रही हो तो मंगल सह्जेश बनता है अत: इअसा जातक बल-पराक्रम के साथ-साथ भाइयो से भी युक्त होता है मंगल बलि हो तो छोटे भाइयो की अधिकता रहती है (देश, काल, परिस्थिति के अनुसार ) ऐसा जातक स्व-भुजबल से यशोभागी बनता है अगर मंगल की स्थिति अनुकूल हो तथा दुसरो की सहायता करने में उसे प्रसन्नता का अनुभव होता है ऐसा जातक कई वीडयो का जानकर होता है तथा पुण्यवान हो कर निर्बलो की मदद करता है तथा राज्य पक्ष से सम्मानित होता है
तीसरा भाव ...... पराक्रम. मृत्यु, सहोदर भैबहन, माता-पिता की म्रत्यु, यात्रा, योग में रूचि, परिवार, फेफड़े , श्वासनलिका, कान, नौकर-चाकर, आदि का विचार किया जाता है
वृषभ राशी स्वामी शुक्र ....जातक प्रतापी होता है इसकी मित्र-मण्डली में बड़े-बड़े उच्चाधिकारी होते हैं इसे अपने कार्यो से यश मिलता है , ऐसा जातक विद्वान् होता है श्रेष्ठ साहित्य की रचना करने वाला होता है , धन की उसे कमी नहीं होती चित्रकार और कलाकार ऐसे ही जातक होते हैं इसी माध्यम से धनोपार्जन करते हैं परिवार में, समाज में प्रशंसा और यशोभागी होता है ...नौकरी में हो तो जातक उच्च पद प्राप्त करता है
मिथुन राशी ...स्वामी बुद्ध ....जातक की वृत्ति वाणिक प्रधान होती है विनोदी स्वाभाव का जातक स्व-भुजबल से मान-सम्मान और धन प्राप्त करता है वह गुरु और पत्नी भक्त होता है तथा सत्य बोलता है ज्योतिष, गणित , लेखा (Account) का जानकर होता है ऐसा जातक अपने कुल में प्रधान होता है उसे उच्च वहां सुख मिलता है जीवन में अनेको अवसरों पर वह पुरुस्कृत होता है
कर्क राशी स्वामी ...चंद्रमा ...ऐसा जातक शांत स्वाभाव का उसकी मित्रता ब्रह्म्नाओ और संतो से रहती है ऐसे जातक व्यापर के माध्यम से आगे बढ़ते हैं नौकरी इनके लिए हितकर नहीं होती ..अपना कम निकलने में माहिर होते हैं, भूमि सम्बन्धी कार्यो से लाभान्वित होते हैं धरम के मामले में कट्टर होते हैं तथा इश्वर पर श्रद्धा रखते हैं इतने पर भी पुराणी दक्यानुसी रुढियों को तोड़ने में सदा आगे मिलेंगे, इनके विचार मौलिक और नवीनता लिए होते हैं और वैवाहिक जीवन सुखी होता है
सिंह राशी स्वामी सूर्य ......जातक उग्र स्वाभाव का होता है एनी कुयोग हो तो हिंसक भी होता है सहस की इसमें कमी नहीं होती अद्भुत ज्जेवत वाले ऐसे जातक को बाल्यावस्था में कष्टों से गुजरना पड़ता है एक जगह रहकर या शिक्षा में कुछ बाधाएं आती हैं , ऐसे जातक की रूचि परनिंदा में अधिक होती है हास्य विनोद स्वाभाव वाला ऐसा जातक स्त्रियोचित गुणों वाला होता है पारिवारिक जीवन में अमूमन सुखी होता है अगर कुछ और कुयोग न पड़े हो....
कने राशी...स्वामी बुद्ध.....इस जातक को अपने सगे -सहोदरों से कम सहायता मिलती है मित्रवर्ग बड़ा होता है तथा मित्र समय पर सहायता करने वाले होते हैं क्रोध कम आता है अपने मित्रो में अग्रणी होने के कारन जातक उनसे सम्मान पाता है शास्त्रों के प्रति अनुराग होता है नम्र स्वाभाव वाला जातक शीलवान और राजनीती में भी पटु होता है एनी योगो के कारन ऐसे जातक चरित्र के कमजोर भी पाए जाते हैं अपनी पत्नी के अतिरिक्त और स्त्रियों से भी सम्बन्ध रखते हैं.. रथ अंत में हीन भावना के शिकार हो जाते हैं
तुला राशी...स्वामी..शुक्र ऐसा जातक अच्छे शील-स्वभाव का नहीं होता .वह वाचाल होता है तथा बोलते समय देश कल परिस्थिति का ध्यान नहीं रखता, जातक का दाम्पत्य जीवन भी सुखी नहीं होता , ऐसा जातक अगर विश्यगमन भी करे तो आश्चर्य नहीं होगा निम्न वर्ग के लोगो में उठाना बैठना होता है त्वरित निर्णय की उसमे क्षमता नहीं होती और बाद में पछताता है
वृश्चिक राशी...स्वामी मंगल ... जातक क्रोधी स्वभाव का...प्राय: असामाजिक तत्वों, गुंडों, तथा पापकर्म में रत रहने वाला व्यसनी व्यक्ति होता है दुर्व्यसनो में फंस कर प्राय: अपनी संचित धन संपत्ति उड़ा देता है ...चलते-फिरते झगडा झंझट मोल लेता है...इसकी बाते मन आत्मा को चोट पहुंचती हैं क्रोध आने पर उचित अनुचित का ध्यान नहीं रखता, अर्थ्चिनता सदा बनी रहती है भाइयो से कोई लाभ नहीं मिलता पुत्रो और स्त्री से अनबन रहती है
धनु राशी स्वामी गुरु ....जातक भव्य आकृति वाला शारीरिक गठन सुंदर होता है...इसकी लिखावट अची होती है ऐसा जातक युद्ध कला को जानने वाला इसलिए पोलिस, मिलिट्री की नौकरी में अधिक तरक्की होती है वैसे भी जातक को व्यापर की अपेक्षा नौकरी लाभदायक रहती है राज्यपक्ष से सम्मानित होता है सामाजिक कार्यकर्त्ता होने से किसी संस्था का सचिव होने का भी योग रहता है उसकी मित्रता बड़े-बड़े लोगो में होती है
तीसरे भाव में मकर राशी शुभ मणि गई है ऐसे जातक का व्यक्तित्व आकर्षक, लुभावना होता है वह सहज ही दुसरो को अपनी और आकर्षित कर लेता है , लोकप्रियता उसके संग रहती है...ऐसा जातक अपने विरोधी से भी अपना कम निकलवा लेता है , देव गुरु भक्त ऐसा जातक विद्वान् और प्रसिद्द होता है लेखन कल में प्रवीण होता है लेकिन अपने आलस्य के कारन अपनी इस प्रतिभा में निखर नहीं ला पता धन का आभाव तो नहीं होता लेकिन धन संचय भी नहीं हो पता...
कुम्भ राशी हो तो जातक पुण्यवान होता है स्वाभाव से गंभीर होता है और समाज में मन और यश को प्राप्त करता है इसके विचार मौलिक...नई सोच के होते हैं धपोर्शंखियो की बाते इसे नहीं सुहाती...अपने भले और बुरे का इसे ज्ञान होता है दुसरो को अच्छी सलाह देता है इसे वनिक वृत्ति वाला मानते हैं सात्विक वृत्ति का ऐसा जातक दिखावे और फैशन से दूर रहता है ऐसा जातक सत्य, परोपकार, न्याय , को विशेष महत्त्व देता है ये जल्दी ही दुसरो पर भरोसा करते हेई और विश्वासघात का शिकार होते हैं
मीन राशी.....ऐसा जाता जागरूक होता है तथा नई -नई योजनाये बनता है अपने चारो और सदा एक रहस्यमय वातावरण बनाये रखता है स्वाभाव से ऐसा जातक उग्र होता है ऐसा जातक धनवान होता है और अपने बीवी-बच्चो से अगाध प्रेम करता है अपनी वाणी पर इसका नियंत्रण नहीं होता...क्रमश: शेष काल ...
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