शुभ प्रभात दोस्तों ... जय माता दी !! पंचम स्कन्द माता !!
माँ की कृपा आप पर और आपके परिवार पर हमेशा बनी रहे!
जयकारा शेरावाली माता की जय ...बोल साचे दरबार की जय !!
जोर से बोलो जय माता की ...सारे बोलो जय माता की।।
!!सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
नवरात्र के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा इस मंत्र के द्वारा की जानी चाहिए.
समस्त इच्छाओं को पूर्ण करनेवाली और आदिशक्ति दुर्गा की पांचवी स्वरूपा भगवती स्कंदमाता की पूजा नवरात्र के पांचवे दिन की जाती है. भगवान स्कन्द की माता होने के कारण श्री दुर्गा के इस स्वरुप को स्कंदमाता कहा जाता है. माता के विग्रह में भगवान स्कन्द बाल रूप में इनके गोद में बैठे हुए हैं. माता की चार भुजाएं हैं, जिनमें दाहिने तरफ की ऊपर वाली भुजा से श्री स्कन्द को पकड़ी हुई हैं. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ है और ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, जिस कारण माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है. आस्थावान भक्तो में मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्ति पूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और उसे इस मृत्युलोक में परम शांति का अनुभव होने लगता है. माता की कृपा से उसके लिए मोक्ष के द्वार स्वयमेव सुलभ हो जाता है. पौराणिक कथानुसार भगवती स्कन्दमाता ही पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती है. महादेव की पत्नी होने के कारण माहेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता है. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है, जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कन्द के नाम से ही पुकारा जाता है.
माँ की कृपा आप पर और आपके परिवार पर हमेशा बनी रहे!
जयकारा शेरावाली माता की जय ...बोल साचे दरबार की जय !!
जोर से बोलो जय माता की ...सारे बोलो जय माता की।।
!!सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
नवरात्र के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा इस मंत्र के द्वारा की जानी चाहिए.
समस्त इच्छाओं को पूर्ण करनेवाली और आदिशक्ति दुर्गा की पांचवी स्वरूपा भगवती स्कंदमाता की पूजा नवरात्र के पांचवे दिन की जाती है. भगवान स्कन्द की माता होने के कारण श्री दुर्गा के इस स्वरुप को स्कंदमाता कहा जाता है. माता के विग्रह में भगवान स्कन्द बाल रूप में इनके गोद में बैठे हुए हैं. माता की चार भुजाएं हैं, जिनमें दाहिने तरफ की ऊपर वाली भुजा से श्री स्कन्द को पकड़ी हुई हैं. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ है और ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, जिस कारण माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है. आस्थावान भक्तो में मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्ति पूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और उसे इस मृत्युलोक में परम शांति का अनुभव होने लगता है. माता की कृपा से उसके लिए मोक्ष के द्वार स्वयमेव सुलभ हो जाता है. पौराणिक कथानुसार भगवती स्कन्दमाता ही पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती है. महादेव की पत्नी होने के कारण माहेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता है. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है, जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कन्द के नाम से ही पुकारा जाता है.
No comments:
Post a Comment