Sunday, 18 December 2011

भक्त और भगवान

"वो चाल चल  कि उम्र ख़ुशी से कटे तेरी,
वो कम कर कि याद तुझे सब किया करें
जो जिक्र हो तेरा तो हो जिक्रे-खैर ही,
और नाम तेरा ले तो अदब से लिया करें"
(परन्तु  ये सब कुछ तभी होगा जब प्रतिदिन उस पुस्तक को पढोगे
जो इस शरीर  में विद्यमान है, जो आत्मा के लपेटे में बैठा है, जो जन्म
जन्म से इसके  साथ चला आ रहा है और तब तक साथ रहेगा, जब तक 
आत्मा को जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति नहीं मिल जाती /
यह है स्वाध्याय और उसका फल  )

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