अथ महा मृत्युंजय साधना "मृत्युंजय के आठ हाथ दृष्टिगोचर हो रहे हैं, उपर के दो हाथों से वे दो कलश उठाये हुए हैं,
और नीचे वाले दो हाथों से वह सर पर जल डाल रहे हैं, सबसे नीचे वाले दो हाथों में भी वह कलश लिए हुए हैं! जिन्हें अपनी गोद में रखा हुआ है! सातवे हाथ में रुद्राक्ष और आठवे हाथ में मृग धारण कर रखा है! उनका आसन कमल का है! उनके सर पर स्थित चंद्रमा निरंतर अमृत वर्षा कर रहा है
जिससे उनका शारीर भीग गया है! उन्होंने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है ! उनके बायीं ओर भगवती गिरिजा विराज रही हैं, जो उन्हें मंत्रमुग्ध निहार रही हैं"
महामृत्युंजय मन्त्र'' ॐ हौं जूं स:, ॐ भूर्भुव स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय माम्रतात! स्व: भुव: भू: ॐ ! स: जूं हौं ॐ!"
और नीचे वाले दो हाथों से वह सर पर जल डाल रहे हैं, सबसे नीचे वाले दो हाथों में भी वह कलश लिए हुए हैं! जिन्हें अपनी गोद में रखा हुआ है! सातवे हाथ में रुद्राक्ष और आठवे हाथ में मृग धारण कर रखा है! उनका आसन कमल का है! उनके सर पर स्थित चंद्रमा निरंतर अमृत वर्षा कर रहा है
जिससे उनका शारीर भीग गया है! उन्होंने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है ! उनके बायीं ओर भगवती गिरिजा विराज रही हैं, जो उन्हें मंत्रमुग्ध निहार रही हैं"
महामृत्युंजय मन्त्र'' ॐ हौं जूं स:, ॐ भूर्भुव स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय माम्रतात! स्व: भुव: भू: ॐ ! स: जूं हौं ॐ!"
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