!!शुभ प्रभात वंदन दोस्तों ..!!
!!ॐ ह्रां ह्रीं ह्रों स :आदित्याये नम:!!
================================
सूर्य सभी ग्रहों का राजा है.
सूर्य नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह है. सभी ग्रह इनकी परिक्रमा करते हैं. ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को प्रमुख ग्रह के रूप मान्यता प्राप्त है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सम्पूर्ण विश्व राशि-नक्षत्र और ग्रहों से प्रभावित है. सूर्य सभी ग्रहों का राजा है.
सूर्य ग्रह सिंह राशि का स्वामी है और यही इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है. सूर्य सदैव मार्गी चलता हैं. मेष राशि में सूर्य उच्च होता हैं एवं तुला राशि में नीच. सूर्य चन्द्र, मंगल और बृहस्पति का मित्र है जबकि बुध के साथ समभाव रखता है. सूर्य के शत्रु ग्रह शुक्र, शनि, राहु एवं केतु हैं. सूर्य अपने सातवें घर को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं. इनमें सत्वगुण की प्रधानता होती है और ये स्थिर स्वभाव के होते हैं. सूर्य पित्त प्रधान ग्रह हैं. इनसे प्रभावित व्यक्ति बहुत जल्दी उग्र हो जाते हैं. गंभीरता एवं आत्माभिमान भी इनसे प्रभावित व्यक्तियों में दिखाई देता है. यह दृढ़ इच्छा शक्ति देता है और नेतृत्व की क्षमता प्रदान करता है.
कुंडली में सूर्य मंदा होने पर व्यक्ति में अभिमानी होता है. छोटी छोटी बातों पर क्रोधित होकर लड़ने को तैयार रहता हैं. अशुभ सूर्य हृदय को कठोर बनता है अर्थात मन में दया की भावना का अभाव होता है. शरीर का दाहिना भाग सूर्य से प्रभावित होता है. दाहिनी आंख, हृदय एवं हड्डियों पर सूर्य प्रभाव रखता है. आत्मिक बल, धैर्य, स्वास्थ्य के अधिकारी सूर्य होते हैं. सूर्य मंदा होने पर दुर्बलता, मानसिक अशांति, हृदय रोग एवं नेत्र सम्बन्धी रोग देता है. लाल किताब कहता है कि टेवे में किसी खाने में सूर्य के साथ चन्द्र, मंगल, बुध हो तो उत्तम फल प्रदान करता है. सूर्य का प्रभाव खाना नम्बर 5 पर होने से भाग्य प्रबल होता है. सूर्य मजबूत और शुभ स्थिति में होने पर राज्याधिकारी एवं विशिष्ट पद दिलाता है.
=============
सूर्य उपाय
=============
इस ग्रह की स्थिति का प्रभाव व्यक्ति को जीवन पर्यन्त मिलता है. प्रथम भाव का अधिपति सूर्य जिस भाव में हो उसके अनुरूप लाल किताब उपाय बताता है. सूर्य शुभ हो तो इसे शुभ बनाये रखने हेतु उपाय करना चाहिए और मंदा होने पर उपचार करना चाहिए. प्रथम भाव एक में सूर्य की शुभता के लिए 40 से 43 दिनो तक बहते पानी में गुड़ प्रवाहित करना चाहिए. भाव नम्बर दो सूर्य के लिए रविवार के दिन सूर्य की वस्तु जैसे गेहुं, गुड़ और ताम्बे का दान करना चाहिए. भाव संख्या तीन में सूर्य के उपचार हेतु लाल चीटियों को प्रतिदिन आटा देना चाहिए. भाव संख्या चार में मंदे सूर्य के लिए चन्द्र की वस्तु जैसे चादी, चावल, स्वेत वस्त्र दान करना चाहिए.
जिनके टेवे में सूर्य पंचम स्थान पर मंदा हो उन्हें गायत्री मंत्र का जप करने से लाभ मिलता है. भाव संख्या छ: में सूर्य की शुभता के लिए रात को सोते समय चन्द्र की वस्तु सिरहाने रखकर सोना चाहिए और सुबह उनका दान कर देना चाहिए. सातवें स्थान की शुभता के लिए काली गाय की सेवा करनी चाहिए. नवम स्थान में सूर्य के उपचार हेतु किसी से कुछ भी मुफ्त में नहीं लेना चाहिए एवं आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. दसवें खाने में सूर्य मंदा होने पर उपचार हेतु तांबे का पैसा नदी में प्रवाहित करना चाहिए. ग्यारहवें खाने के लिए शनि का उपचार करना लाभप्रद होता है. द्वादश स्थान में सूर्य के मंदे फल से बचाव हेतु धर्म का निष्ठा पूर्वक पालन करना चाहिए एवं पितृ ऋण से मुक्ति का उपाय करना चाहिए.
Devel Dublish
Meerut.
!!ॐ ह्रां ह्रीं ह्रों स :आदित्याये नम:!!
================================
सूर्य सभी ग्रहों का राजा है.
सूर्य नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह है. सभी ग्रह इनकी परिक्रमा करते हैं. ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को प्रमुख ग्रह के रूप मान्यता प्राप्त है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सम्पूर्ण विश्व राशि-नक्षत्र और ग्रहों से प्रभावित है. सूर्य सभी ग्रहों का राजा है.
सूर्य ग्रह सिंह राशि का स्वामी है और यही इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है. सूर्य सदैव मार्गी चलता हैं. मेष राशि में सूर्य उच्च होता हैं एवं तुला राशि में नीच. सूर्य चन्द्र, मंगल और बृहस्पति का मित्र है जबकि बुध के साथ समभाव रखता है. सूर्य के शत्रु ग्रह शुक्र, शनि, राहु एवं केतु हैं. सूर्य अपने सातवें घर को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं. इनमें सत्वगुण की प्रधानता होती है और ये स्थिर स्वभाव के होते हैं. सूर्य पित्त प्रधान ग्रह हैं. इनसे प्रभावित व्यक्ति बहुत जल्दी उग्र हो जाते हैं. गंभीरता एवं आत्माभिमान भी इनसे प्रभावित व्यक्तियों में दिखाई देता है. यह दृढ़ इच्छा शक्ति देता है और नेतृत्व की क्षमता प्रदान करता है.
कुंडली में सूर्य मंदा होने पर व्यक्ति में अभिमानी होता है. छोटी छोटी बातों पर क्रोधित होकर लड़ने को तैयार रहता हैं. अशुभ सूर्य हृदय को कठोर बनता है अर्थात मन में दया की भावना का अभाव होता है. शरीर का दाहिना भाग सूर्य से प्रभावित होता है. दाहिनी आंख, हृदय एवं हड्डियों पर सूर्य प्रभाव रखता है. आत्मिक बल, धैर्य, स्वास्थ्य के अधिकारी सूर्य होते हैं. सूर्य मंदा होने पर दुर्बलता, मानसिक अशांति, हृदय रोग एवं नेत्र सम्बन्धी रोग देता है. लाल किताब कहता है कि टेवे में किसी खाने में सूर्य के साथ चन्द्र, मंगल, बुध हो तो उत्तम फल प्रदान करता है. सूर्य का प्रभाव खाना नम्बर 5 पर होने से भाग्य प्रबल होता है. सूर्य मजबूत और शुभ स्थिति में होने पर राज्याधिकारी एवं विशिष्ट पद दिलाता है.
=============
सूर्य उपाय
=============
इस ग्रह की स्थिति का प्रभाव व्यक्ति को जीवन पर्यन्त मिलता है. प्रथम भाव का अधिपति सूर्य जिस भाव में हो उसके अनुरूप लाल किताब उपाय बताता है. सूर्य शुभ हो तो इसे शुभ बनाये रखने हेतु उपाय करना चाहिए और मंदा होने पर उपचार करना चाहिए. प्रथम भाव एक में सूर्य की शुभता के लिए 40 से 43 दिनो तक बहते पानी में गुड़ प्रवाहित करना चाहिए. भाव नम्बर दो सूर्य के लिए रविवार के दिन सूर्य की वस्तु जैसे गेहुं, गुड़ और ताम्बे का दान करना चाहिए. भाव संख्या तीन में सूर्य के उपचार हेतु लाल चीटियों को प्रतिदिन आटा देना चाहिए. भाव संख्या चार में मंदे सूर्य के लिए चन्द्र की वस्तु जैसे चादी, चावल, स्वेत वस्त्र दान करना चाहिए.
जिनके टेवे में सूर्य पंचम स्थान पर मंदा हो उन्हें गायत्री मंत्र का जप करने से लाभ मिलता है. भाव संख्या छ: में सूर्य की शुभता के लिए रात को सोते समय चन्द्र की वस्तु सिरहाने रखकर सोना चाहिए और सुबह उनका दान कर देना चाहिए. सातवें स्थान की शुभता के लिए काली गाय की सेवा करनी चाहिए. नवम स्थान में सूर्य के उपचार हेतु किसी से कुछ भी मुफ्त में नहीं लेना चाहिए एवं आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. दसवें खाने में सूर्य मंदा होने पर उपचार हेतु तांबे का पैसा नदी में प्रवाहित करना चाहिए. ग्यारहवें खाने के लिए शनि का उपचार करना लाभप्रद होता है. द्वादश स्थान में सूर्य के मंदे फल से बचाव हेतु धर्म का निष्ठा पूर्वक पालन करना चाहिए एवं पितृ ऋण से मुक्ति का उपाय करना चाहिए.
Devel Dublish
Meerut.
No comments:
Post a Comment