Sunday, 12 April 2015

चन्द्रमा का फल और उपाय

!!शुभ प्रभात वंदन  दोस्तों.....
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!!ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे  नम:!!
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चन्द्रमा शुभ ग्रह है.यह शीतल और सौम्य प्रकृति धारण करता है.ज्योतिषशास्त्र में इसे स्त्री ग्रह के रूप में स्थान दिया गया है.यह वनस्पति, यज्ञ एवं व्रत का स्वामी ग्रह है.
 सूर्य के समान चन्द्रमा को भी प्रभावशाली और महत्वपूर्ण माना गया है   टेवे में अपनी स्थिति एवं युति एवं ग्रहों की दृष्टि के अनुसार यह शुभ और मंदा फल देता है.
भाव नम्बर चार को चन्द्रमा का घर कहा गया है ! चन्द्रमा सूर्य और बुध के साथ मित्रपूर्ण सम्बन्ध रखता है.मंगल, गुरू, शुक्र, शनि एवं राहु के साथ चन्द्रमा शत्रुता रखता है.केतु के साथ यह समभाव रखता है.मिथुन और कर्क राशि में यह उच्च होता है एवं वृश्चिक में नीच.सोमवार चन्द्रमा का दिन होता है.लाल किताब के टेवे में 1, 2, 3, 4, 5, 7 एवं 9 नम्बर खाने में चन्द्रमा श्रेष्ठ  होता है जबकि 6,7, 10, 11 एवं 12 नम्बर भाव में मंदा होता है.

उच्च राशि के साथ सप्तम खाने में चन्द्रमा होने से धन एवं जीवन के सम्बन्ध में उत्तम फल मिलता है.कुण्डली में चतुर्थ भाव यानी चन्द्र का पक्का घर अगर खाली हो और इस पर उच्च ग्रहों की दृष्टि भी न हो और अन्य ग्रह अशुभ स्थिति में हों तब भी चन्द्रमा व्यक्ति को अशुभ स्थितियों से बचाता और शुभता प्रदान करता है.

ज्योतिष के सिद्धान्त के अनुसार जब चन्द्रमा पर शुक्र, बुध, शनि, राहु केतु की दृष्टि होती है तो मंदा फल होता है जबकि इसके विपरीत चन्द्र की दृष्टि इन ग्रहों पर होने से ग्रहों के मंदे फल में कमी आती है और शुभ फल मिलता है.चन्द्र के घर का स्थायी ग्रह शत्रु होने पर भी मंदा फल नहीं देता है.ज्योतिष की इस विधा में कहा गया है कि चन्द्रमा अगर टेवे में किसी शत्रु ग्रह के साथ हो तब दोनों नीच के हो जाते हैं जिससे चन्द्रमा का शुभ फल नहीं मिलता है.ज्योतिष में खाना नम्बर 1, 4, 7 और 10 को बंद मुट्ठी का घर कहा गया है.इन घरो में स्थित ग्रह अपनी दशा में व्यक्ति को अपनी वस्तुओं से सम्बन्धित लाभ प्रदान करते हैं.
चन्द्रमा का फल और उपाय
शरीर का बायां अंग, बायीं आंख, स्त्रियों में मासिक धर्म, रक्त संचार इन पर चन्द्र का प्रभाव रहता है.मन, दया की भावना, आकांक्षाएं चन्द्रमा द्वारा संचालित होते हैं.जिनके टेवे में चन्द्रमा मंदा या कमज़ोर होता है उनमें दया की भावना का अभाव होता है .ये दूसरों की उन्नति देखकर उदास होते हैं.मन में अहंकार की भावना रहती है.इनकी माता को एवं स्वयं को कष्ट उठाना पड़ता है.पैतृक सम्पत्ति को संभालकर नहीं रख पाता है.जिस स्त्री के टेवे में चन्द्रमा कमज़ोर होता है उन्हें मासिक चक्र में परेशानी होती है!
उपचार: (Remedies of Moon from Lal Kitab)
लाल किताब में टेवे के पत्येक खाने में चन्द्रमा की शुभता एवं उपचार हेतु उपाय बताए गये हैं.टेवे में खाना संख्या एक में चन्द्रमा के लिए बुजुर्ग स्त्री की सेवा करनी चाहिए एवं उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए.वट वृक्ष की जड़ को जल से सींचन करना चाहिए.खाना नम्बर दो में चन्द्रमा के उपचार हेतु 40 से 43 दिनों तक कन्याओं को हरे रंग का कपड़ा देना चाहिए.टेवे में खाना नम्बर 3 में चन्द्रमा मंदा होने पर गेहूं और गुड़ का दान करना चाहिए.चतुर्थ भाव में चन्द्रमा समान्यत: अशुभ नहीं होता है फिर भी चन्द्र की शुभता के लिए चन्द्र की वस्तु जैसे चावल, दूध, दही, मोती, सफेद वस्त्र घर में रखना चाहिए, यह लाभप्रद होता है.लाल किताब कहता है चन्द्रमा पंचम भाव में मंदा होने पर बुध की वस्तुएं जैसे हरे रंग का कपड़ा, पन्ना घर में नहीं रखना चाहिए इससे परेशानी बढ़ती है.छठे भाव में चन्द्रमा की शुभता के लिए रात्रि के समय दूध का सेवन नहीं करना चाहिए.दूध से बने पदार्थ का सेवन किया जा सकता है.

सप्तम भाव में चन्द्रमा होने पर इसकी शुभता के लिए ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे माता को कष्ट हो.अष्टम में बड़ों का आशीर्वाद एवं चरणस्पर्श लाभप्रद होता है.नवम में मंगल की वस्तुएं जैसे लाल वस्त्र, मसूर की दाल, शहद का दान करना चाहिए.खाना नम्बर दस में चन्द्रमा मंदा होने पर चन्द्र की वस्तु घर में रखना लाभप्रद होता है.केले के वृक्ष में जल देने से भी लाभ मिलता है.एकादश में चन्द्र मंदा होने पर बुध की वस्तुएं जैसे मूंग की दाल, हरे रंग का कपड़ा व पन्ना घर में नहीं लाना चाहिए.द्वादश भाव में चन्द्रमा की उपस्थिति से मंदा फल प्राप्त होने पर बड़ों का आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए.चांदी के बर्तन में दूध पीने से चन्द्रमा शुभ रहता है.
By Devel Dublish
Meerut.

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